मौत की भविष्यवाणी (दो दोस्तों की कहानी)- मित्रता की कहानी (Moral story in hindi):
मौत एक ऐसी मंज़िल है| जहाँ पहुंचकर सारे गिले शिकवे मिट जाते हैं| ये दास्तान दो दोस्तों के बीच दुश्मनी की है जहाँ, मौत की भविष्यवाणी का डर ज़बरदस्त बदलाव लाता है| जय और वीरू दोनों के बीच, बचपन से ही गहरी दोस्ती थी| दोनों की दोस्ती व्यापारिक साझेदारी तक पहुँच चुकी थी| वीरू अक्सर अपने काम में लापरवाही करता था लेकिन, जय उसकी हरकतों को नज़रअंदाज़ करता रहता| एक दिन जब पानी सर से ऊपर हो गया तो, जय ने वीरु ने कहा, “यदि तुम्हें व्यापार में लापरवाही करनी है तो, हमें अलग हो जाना चाहिए| यह व्यापार केवल मेरा नहीं है इसलिए, यह केवल मेरी ज़िम्मेदारी नहीं|” वीरू को जय की बात इतनी बुरी लगी कि, उसने व्यापार को अलग अलग करने की बात मान ली| बस फिर क्या था| देखते ही देखते, दोनों के रास्ते अलग हो गए| जय काफ़ी मेहनती था इसलिए, उसे वीरू से अलग होने से कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ा| वहीं दूसरी ओर वीरू की ज़िंदगी बदतर होने लगी| जय के बिना वह व्यापार चलाने में असमर्थ था| बहुत जल्द इसका एहसास वीरू को हो गया| कुछ ही सालों में, जय की मेहनत ने असर दिखाना शुरू किया और उसका व्यापार, दोगुनी तेज़ी से बढ़ने लगा| जिसका पता चलते ही, वीरू के कलेजे में साँप लोटने लगे| वह मन ही मन ईर्ष्या भाव से जलने लगा| उसे जय की तरक़्क़ी देखकर घुटन होने लगी| तभी उसने तय किया कि, “वह अपने दोस्त को जान से मार देगा|” वीरू अपने दिल में प्रतिशोध की आग जलाकर, जैसे ही जय की कंपनी में पहुँचा तो, उसे पता चला की जय कहीं बाहर गया है| उसी कंपनी में वीरू की नज़र, एक बुजुर्ग मुलाज़िम पर पड़ी जो, शुरूआती दौर से ही कंपनी में कार्य कर रहे थे लेकिन, व्यापारिक बँटवारे के दौरान उन्होंने, जय के साथ काम करना सही समझा| वीरू उनके पास पहुंचकर, धमकी भरे अंदाज़ में, जय को मारने की बात कहता है| वीरू के बात सुनकर, बुजुर्ग कर्मचारी हँसने लगते हैं|
उन्हें हंसते देख वीरू को ताज्जुब होता है| वह उनके हँसने की वजह पूछता है| तभी बुजुर्ग कर्मचारी जय की मौत की भविष्यवाणी करते हुए कहते हैं कि, “साहब तो छह महीने में, अपने आप बीमारी से मरने वाले हैं| फिर, आप उन्हें मारकर जेल क्यों जाना चाहते हो?” कर्मचारी की बात सुनते ही, वीरू के पैरों तले ज़मीन खिसक गई| उसे अपने फ़ैसले से घृणा होने लगी| उसे यक़ीन ही नहीं हुआ कि, उसका दोस्त इतनी जल्दी दुनिया से चला जाएगा| जय की मौत की ख़बर ने, वीरू का ग़ुस्सा शांत कर दिया था| वह अपनी नम आँखों से, बुजुर्ग व्यक्ति से हाथ जोड़कर, माफ़ी माँगते हुए कहता है कि, “जय को मेरे बारे में मत बताना| उसे दुख होगा” और इतना कहते ही, वीरू वहाँ से वापस आ जाता है| रह रह कर वीरू को जय की चिंता सताने लगती है| लेकिन, दोनों के बीच पैदा हुए मतभेद, हर बार उसे, जय के पास जाने से रोक लेते हैं| धीरे धीरे वीरू, जय के प्रति सहानुभूति रखने लगता है| उसे जय की पुरानी बातें याद आने लगती है| उसे लगता है कि, जय के मरने से पहले उसे अपने बचपन के दोस्त से, एक बार ज़रूर मिलना चाहिए और अगले ही दिन, वह उससे मिलने उसके घर पहुँचता है| वीरू को अपने सामने देखकर, जय ख़ुश हो जाता है और उसे बैठने को कहता है| जय के सामान्य बर्ताव को देखकर, वीरू सोच में पड़ जाता है| उसे लगता है, “जय को अपनी मौत के बारे में नहीं पता” इसलिए, वह जय से उसकी बीमारी के बारे में कुछ नहीं पूछता| जय इतने सालों बाद अपने दोस्त से मिलकर बहुत ख़ुश था| दोनों पुरानी बातें करके, अपनी यादें ताज़ा करते हैं और कुछ देर बाद, वीरू वापस आ जाता है| जय से मिलकर वीरू को बहुत अच्छा लगता है|
धीरे धीरे गुज़रते वक़्त के साथ, जय की मौत का दिन भी आ जाता है| वीरू सारा दिन अपने दोस्त की मृत्यु के ग़म में दुखी बैठा रो रहा होता है और जैसे ही रात होती है| वह अपने दोस्त के घर पहुँच जाता है| वहाँ उसे, जय मस्ती के मूड में नज़र आता है| वह जय से पूछता है, “तुम्हें इतनी गंभीर बीमारी है फिर भी, तुम्हें कोई चिंता नहीं|” वीरू की बात सुनकर, जय जोर ज़ोर से हँसने लगता है और हंसते हुए कहता है, “तुम पागल हो जो, अच्छे भले व्यक्ति को बीमार कह रहे हो|” वीरू अपनी बात साबित करने के लिए, जय से उसकी कंपनी में काम कर रहे, उसी बुजुर्ग कर्मचारी को बुलाने को कहता है जिसने, छह महीने पहले जय की मौत की भविष्यवाणी की थी| जैसे ही जय को पूरा माजरा पता चला| उसने तुरंत उसी बुजुर्ग कर्मचारी को अपने घर बुलाया| उनके आते ही, वीरू उन्हें डांटने लगा लेकिन, बुजुर्ग कर्मचारी जैसे ही जय की मृत्यु की सच्चाई बताता है| वीरू पानी पानी हो जाता है| बुजुर्ग व्यक्ति दोनों के सामने हाथ जोड़कर, विनम्रता से कहता है कि, “मेरे द्वारा की गई मौत की भविष्यवाणी झूठी थी|” दरअसल, उस दिन वीरू का ग़ुस्सा देखकर, कर्मचारी ने दोनों की दुश्मनी ख़त्म करने के लिए, झूठ बोला जिसका असर यह हुआ कि, दोनों की नफ़रत फिर से दोस्ती में बदल गई है और आज दोनों, साथ खड़े हैं| जय और वीरू बुजुर्ग व्यक्ति की समझदारी की तारीफ़ करते हुए, उन्हें गले लगा लेते हैं| बुजुर्ग व्यक्ति की समझदारी ने, दोनों के बीच नफ़रत के ज़हर को ख़त्म कर दिया था और इसी के साथ मित्रता की कहानी ख़त्म हो जाती है|