नालायक बेटा | Nalayak beta | Majedar kahaniyan in hindi:
माँ बाप, अपने बच्चों से बहुत सी उम्मीदें रखते हैं और अपनी उम्मीदों के अनुरूप, अपने बच्चों को शिक्षा देते हैं लेकिन कई बार, कुछ बच्चे अपने माता पिता की सोच से परे अलग ही दिशा में अग्रसर होते हैं | नालायक बेटा ( Nalayak beta ) ऐसे ही, एक लड़के की कहानी ( Majedar kahaniyan in hindi ) है, जिसका नाम मोहन था | मोहन स्वभाव से लापरवाह किस्म का लड़का था, इसलिए वह अपने हर काम बिगाड़ लेता था, जिसका खामियाजा उसे और उसके माता-पिता को भुगतना पड़ता था | मोहन के माता-पिता को मोहन के भविष्य की चिंता हमेशा बनी रहती थी | मोहन ने अपने कॉलेज की पढ़ाई अधूरी ही छोड़ दी थी और सारा दिन आवारागर्दी करते गुजारने लगा था | मोहन के जीवन का कोई उद्देश्य नहीं था | वह अपने मां-बाप का इकलौता नालायक बेटा था | जिस पर उसके मां-बाप को गर्व नहीं, बल्कि शर्म महसूस होती थी | हालांकि इस बात से, मोहन को कोई खास फर्क नहीं पड़ता था | एक दिन मोहन के पापा, उसे बाजार से सामान लाने को कहते हैं | जिसके लिए मोहन को कुछ पैसे और सामान की लिस्ट देकर, अपने काम पर चले जाते हैं | पापा के जाते ही मोहन, अपने दोस्तों के साथ बाजार जाता है और सामान की लिस्ट के अनुसार, सब कुछ खरीद लेता है और अपने दोस्तों के साथ सामान का थैला लेकर, थियेटर में फ़िल्म देखने चला जाता है | मोहन फ़िल्म में दोस्तों के साथ ख़ूब मस्ती करता है | फ़िल्म ख़त्म होने के बाद मोहन, अपने घर वापस आ जाता है | मोहन के पापा कुर्सी में बैठे TV देख रहे होते हैं | वह मोहन से सामान के बारे में पूछते हैं | मोहन तुरंत अपने ख़ाली हाथ देखता है और घबरा जाता है, क्योंकि सामान का थैला, उसके हाथ में नहीं होता | वह पापा से कहता है, “पापा मैंने थैला अपने दोस्तों को दे दिया है | आप चिंता मत करिए, कल मैं थैला ले आऊँगा” | मोहन ने थैला खो दिया था | इस बात से उसे रात भर नींद नहीं आती |
सुबह होते ही, मोहन अपने पापा के उठने से पहले ही, अपने दोस्तों के घर पहुँच जाता है और उनसे अपना थैला ढूंढने के लिए मदद माँगता है | मोहन के सभी दोस्त उसी थियेटर पहुँचते हैं, जहाँ वह फ़िल्म देखने गए थे | मूवी थियेटर वाला उन्हें बताता है कि, कल मूवी शो हाउसफ़ुल था, इसलिए दर्शकों की बहुत भीड़ थी | थैले के बारे में पता लगाना बहुत मुश्किल होगा | मोहन बहुत निराश हो जाता है | वह अपने दोस्तों से कहता है | अगर यह सामान नहीं मिला तो, मेरे पापा बहुत नाराज़ होंगे | मोहन के दोस्त उसकी मदद करना चाहते हैं, इसलिए वह सभी थोड़ा थोड़ा पैसा मिलाकर मोहन को दे देते हैं और कहते हैं, मोहन दोबारा से वही सारा सामान ख़रीद कर, पापा को दे देते हैं | दोस्तों की मदद मिलते ही मोहन ख़ुश हो जाता है और दोबारा लिस्ट के अनुसार सामान ख़रीद कर घर चला जाता है | इस बार तो मोहन की गलती पर उसके दोस्तों ने पर्दा डाल दिया था, लेकिन ज़िंदगी के और भी मुक़ाम अभी आना बाक़ी थे | मोहन के पिता अपने एक दोस्त से मोहन की नौकरी के लिए सिफ़ारिश लगवाते हैं, जिसकी वजह से मोहन को एक अच्छे कारख़ाने में मशीन ऑपरेटर की नौकरी मिल जाती है, हालाँकि मोहन नौकरी नहीं करना चाहता, लेकिन वह कुछ दिनों तक, अपने पापा की ख़ुशी के लिए कारख़ाने काम पर जाने लगता है | मोहन को कारख़ाने में काम करने में, कुछ ही दिनों में आलस आने लगता है और वह अपने काम में लापरवाही करना शुरू कर देता है | एक दिन मोहन की ड्यूटी सुबह छह बजे से होती है | देर रात तक जागने की वजह से मोहन की नींद पूरी नहीं हो पाती, इसलिए वह कारख़ाने पहुँचकर कुर्सी में बैठे बैठे सोने लगता है | उसी समय मोहन के सुपरवाइज़र उसे, मशीन का “रॉ मटेरियल वेस्टेज चैम्बर” खोलने को कहते हैं, जिसे एक बटन दबाकर खोला जाता था | मोहन नींद में मशीन को चालू करने का बटन दबा देता है, जिसकी वजह से एक मज़दूर का हाथ मशीन के बेल्ट में दबकर टूट जाता है | हादसा होते ही फ़ैक्ट्री में अफ़रा तफ़री मच जाती है | मज़दूरों का हुजूम मशीन के आस पास उमड़ पड़ता है |
लोगों की चीख पुकार सुनकर मोहन की नींद उड़ जाती है | वह अपनी कुर्सी से उठ कर भीड़ के साथ भागने लगता है | तभी मोहन को पता चलता है कि, उसकी गलती की वजह से ही मज़दूर का हाथ टूटा है | अचानक उसे घबराहट होने लगती है | उसका शरीर कांपने लगता है | वह भीड़ से मुँह छिपाते हुए, अपने घर भागता है और घर पहुंचकर अपने पापा से सारी बात कह देता है | मोहन के पापा का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर चला जाता है | वह पहले से ही मोहन को नालायक बेटा मानते थे और अब मोहन ने इतनी बड़ी गलती कर दी थी, जिसके लिए उसे जेल भी जाना पड़ सकता था वह ग़ुस्से में मोहन को घर से निकाल देते हैं | मोहन हादसे की वजह से बहुत दुखी था और उसके पिता ने भी उसे घर से बेदख़ल कर दिया | उसके जीने के सारे रास्ते बंद हो चुके थे | उसने तय कर लिया था कि, वह आत्महत्या करेगा और वह ट्रेन से अपनी जान देने के लिए, रेलवे स्टेशन पहुँच जाता है और ट्रेन के आने का इंतज़ार करने लगता है | तभी एक ज़ोरदार हॉर्न की आवाज़ के साथ, एक ट्रेन रेलवे स्टेशन में दाख़िल होती है | ट्रेन के आते ही मोहन अपनी जगह पर खड़ा हो जाता है और पटरी में कूदने का मन बना लेता है | जैसे जैसे ट्रेन पास आती है, मोहन की धड़कनें बढ़ने लगती हैं और जैसे ही ट्रेन मोहन के क़रीब पहुँचती है | वह आत्महत्या करने के लिए, ट्रेन के सामने छलांग लगा देता है, लेकिन उसी वक़्त उससे एक आदमी टकराता है, जिसके हाथ में एक बड़ा सा बैग होता है | टक्कर की वजह से मोहन दूर जा गिरता है और उसकी जान जाने से बच जाती है | मोहन उस यात्री का बैग उठाकर उसको देता है, लेकिन मोहन को उसके बैग में बहुत ज़्यादा भार महसूस होता है और जैसे ही मोहन बैग की चैन खोलता है, वह चौंक जाता है | बैग के अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक टाइमर बम चालू हो चुका था, जिसके समय के अनुसार अगले 10 मिनट में वह बम फटने वाला था | मोहन बैग लेकर स्टेशन के बाहर भागने लगता है | अचानक वह आदमी भी, मोहन के पीछे भागता है | हड़बड़ाहट में मोहन का संतुलन बिगड़ जाता है और वह रेलवे प्लेटफ़ॉर्म के फ़र्श में गिर जाता है | उसी वक़्त वह आदमी मोहन के पीछे भागते हुए उसके पास पहुँच जाता है और अपना बैग उठा लेता है लेकिन उसकी क़िस्मत बुरी होती है, क्योंकि रेल पुलिस के जवान, वहाँ पहुँच चुके होते हैं और उन्हें देखकर मोहन ज़ोर ज़ोर से बैग की तरफ़ इशारा करके, बॉम – बॉम चिल्लाने लगता है | मोहन की आवाज़ सुनकर रेलवे पुलिस के जवान, उस इंसान पर बंदूक तान देते हैं, जिसके हाथ में बम वाला बैग होता है | मोहन पुलिस वालों को बताता है कि, अगले 10 मिनट में बम फटने वाला है | रेलवे पुलिस का एक जवान, अपनी बहादुरी दिखाते हुए बैग लेकर, रेलवे यार्ड की तरफ़ भागता है और पूरी ताक़त से, बैग को यात्रियों से दूर फेंक देता है और तभी एक ज़ोरदार धमाका होता है, जिससे रेलवे यार्ड में खड़ी मालगाड़ी का एक डब्बा क्षतिग्रस्त हो जाता है, लेकिन यात्रियों की जान बच जाती है |
पुलिस की तहक़ीक़ात में पता चलता है कि, वह आदमी आतंकवादी था जो, आतंकी घटना को अंजाम देने के लिए, ट्रेन में धमाका करना चाहता था, लेकिन मोहन ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया था | इतनी बड़ी घटना की ख़बर, जैसे ही अख़बारों में छपती है तो, सारे शहर को मोहन की बहादुरी का पता चल जाता है | मोहन के घर में पत्रकारों के साथ साथ, पड़ोसियों और रिश्तेदारों की लाइन लगी होती है और इसी बीच मोहन, अपने घर वापस आता है | मोहन के पिता, अपने बेटे से गले लग जाते हैं | उन्हें अपने बेटे पर आज बहुत गर्व महसूस हो रहा था | हो भी क्यों न, नालायक बेटे ( Nalayak beta ) ने, काम जो इतना लायक किया था | मोहन के अच्छे काम की वजह से, वह अपने माँ बाप के साथ साथ पूरे देश का लायक बेटा बन जाता है और इसी के साथ यह कहानी ( Majedar kahaniyan in hindi ) समाप्त हो जाती है |
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