पड़ोसी (Padosi) | Interesting Story in hindi

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पड़ोसी (Interesting Story in hindi):

हमारे घर के आस पास रहने वाले लोगों को पड़ोसी (padosi) कहा जाता है| पड़ोसियों से रिश्ता अच्छा हो, या बुरा, दोनों ही बातों से जीवन प्रभावित होता है| दरअसल आपके पड़ोस में रहने वाले लोग और उनका वातावरण, आपके जीवन को, स्थायी तौर पर प्रभावित करता है और इन्हीं सब बातों को समझने के लिए, यह ज़बरदस्त कहानी (Interesting Story) लिखी गई है| मुझे पूरी उम्मीद है कि, यह कहानी आपको पड़ोसी देशों के महत्व से अवगत कराएगी| धरतीपुर नाम का बहुत बड़ा राज्य था| जिसके पड़ोस में बहुत से छोटे छोटे राज्य बसे थे| धरतीपुर का प्रतिनिधित्व वही व्यक्ति कर सकता था, जिसे वहाँ की जनता द्वारा चुना जाता था अर्थात धरतीपुर में, लोकतंत्र स्थापित था| यहाँ राजा का चुनाव, बड़े अनोखे तरीक़े से किया जाता था| राजा के पद पर खड़े उम्मीदवारों को, युद्ध कला के साथ साथ, ज्ञान में भी पारंगत होना पड़ता था और फिर उन उम्मीदवारों को, चुनाव चिन्ह के रूप में, अलग अलग रंग के पत्थर दिए जाते थे और जनता को, हर उम्मीदवार के, पत्थर का रंग बताया जाता था और एक सैनिक, आँख में पट्टी बांधकर, घर घर जाकर, हर रंग के पत्थर, अपने थैले में इकट्ठा करता था और फिर, सभी पत्थरों की गिनती होने के बाद, तय किया जाता था कि, जिस उम्मीदवार से, मिलते हुए रंग के पत्थर, ज़्यादा होंगे वही राजा बन जाएगा और इसी तरीक़े से राजा भीम सिंह चुने गए थे, जो बहुत ही बहादुर और सबसे अधिक ज्ञानी माने जाते थे| जनता ने उनकी क़ाबिलीयत के आधार पर, उन्हें राजा के लिए चुना था| भीम सिंह राजा बनते ही, अभिमान के बादलों से घिर जाते हैं और महल की आलीशान ज़िंदगी का, लुफ्त उठाते उठाते, इतने मसरूफ़ हो जाते हैं कि, उन्हें अपने राज्य का ख़्याल ही नहीं रहता| राजा भीम सिंह को अपने राज्य पर इतना अभिमान था कि, वह पड़ोस के किसी राज्य से, कभी भी मित्रता करना पसंद नहीं करता था और न ही उसे, किसी और राज्य से कोई मतलब था| धीरे धीरे भीम सिंह, तानाशाही प्रवृत्ति का राजा बनता जा रहा था| उसने जनता पर अधिक से अधिक कर लगाने शुरू कर दिए थे| दरअसल राजा भीम सिंह ज्ञानी तो था, लेकिन वह अपने ज्ञान का इस्तेमाल, बहुत संकुचित स्तर तक कर रहा था| उसने कभी भी व्यापारिक नीतियों को बढ़ावा नहीं दिया था और ना ही, जनता को रोज़गार देने के लिए, ऐसे कोई उद्योग प्रारंभ करवाए| राज्य की हालत, दिनों दिन बिगड़ने लगी| राज्य के नागरिक केवल गिनने के लिए जनता थे, लेकिन उनके पास रोज़गार और काम न होने की वजह से, राज्य में उनका योगदान शून्य था और धीरे धीरे, राज्य की 90 प्रतिशत आबादी बेरोज़गारी और भुखमरी के दलदल में फँस चुकी थी|

Interesting Story in hindi
मजेदार कहानी

राजा भीम सिंह के महल के बाहर, जब जनता गुहार लगाने लगी, तब भीम सिंह को आभास हुआ कि, उसने अपनी लापरवाही से, स्वर्ग से सुंदर राज्य को, बेजान कर दिया| राजा भीम सिंह के राज्य में, आस पास के छोटे मोटे राज्य, धीरे धीरे क़ब्ज़ा करते जा रहे थे, लेकिन राजा भीम सिंह के सैनिक, हाथ में हाथ धरे बैठे थे, क्योंकि बिना मज़बूत प्रतिनिधित्व के, राज्य की सीमाओं को सुरक्षित कर पाना असंभव था| राजा भीम सिंह को राज करते हुए, दो ही बरस गुज़रे थे, लेकिन लगभग 30% राज्य की ज़मीनों पर, पड़ोसी राज्यों का आधिपत्य हो चुका था| राज्य में संकट के बादल मंडरा रहे थे और अब राज्य के अंदर ही, जाति धर्म के आधार पर अलग अलग दल बनने लगे थे| जनता राज्य के विरोध में उतर चुकी थी| सभी भीम सिंह को, राजा का पद छोड़ने के लिए नारे लगाने लगते हैं, लेकिन राजा भीम सिंह मोहमाया के लोभ में, अंधा हो चुका था| उसे अपने राज्य के लोगों का कोई ख्याल नहीं था| एक दिन वह अपने महल में, मदिरापान कर रहा था, अचानक पड़ोसी राज्यों की सेना का आक्रमण, धरतीपुर राज्य में शुरू हो जाता है| सभी अपनी जान बचाने के लिए, इधर उधर भागने लगते हैं| इसी बीच राजा भीम सिंह का एक सैनिक, बहादुरी से लड़ते हुए, दुश्मन राज्यों के, बहुत से सैनिकों को, भागने पर विवश कर देता है| सैनिक को लड़ता देख, बाक़ी लोगों में भी आत्मविश्वास बढ़ जाता है और राज्य की जनता भी, लड़ाई में उसका साथ देने लगती है और देखते ही देखते, राजा भीम सिंह की सेना पड़ोसी राज्यों के सैनिकों पर, भारी पड़ते हैं और उन्हें उल्टे पैर भागने पर, मजबूर कर देती है| इस सैनिक की बहादुरी की वजह से, राजा भीम सिंह का राज्य तो बच गया था, लेकिन उसका पद ख़तरे में था| राज्य का एक भी नागरिक, भीम सिंह को राजा के रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं था| मजबूरीवश भीम सिंह को, कार्यकाल पूरा होने से पूर्व ही अपना पद त्यागना पड़ता है और राजा की जगह पर बिना चुनाव किए, उस सैनिक को राजा बनाया जाता है, जिसने अपने युद्ध कौशल से, धरती पुर राज्य की रक्षा की थी| यह सैनिक वैसे तो सामान्य परिवार का था, लेकिन उसके अंदर एक राजा की सभी गुण मौजूद थे| राजा बनते ही, वह सबसे पहले अपने पड़ोसी राज्यों से मित्रता स्थापित करने का कार्य करता है और धीरे धीरे, व्यापारिक रिश्तों को मज़बूत करते हुए, अपने राज्य को एक नई दिशा की ओर ले जाने लगता है|

पड़ोसी (Padosi) | Interesting Story in hindi
मजेदार कहानी

आस पास के सभी राज्यों में, व्यापार प्रारम्भ होने से, मुद्रा का आदान प्रदान उच्च स्तर पर होने लगता है, जिससे सभी राज्य धन धान्य से भरपूर हो जाते हैं, लेकिन व्यापार करते हुए, कई बार कुछ बातों को लेकर, इन राज्यों में आपसी मतभेद उत्पन्न होने लगते हैं| जिसे संतुलित करने के लिए, एक मुख्य प्रतिनिधि को चुनने का प्रस्ताव रखा जाता है और वह प्रतिनिधि, केवल व्यापारिक मतभेदों को नियंत्रित करने के लिए चुना जाना था, जिसके लिए सभी राज्यों के राजा, अपनी दावेदारी प्रस्तुत करते हैं| मुख्य प्रतिनिधि का चुनाव करने के लिए, धरती पुर राज्य की, पत्थर के सहारे चुनाव करने की प्रक्रिया अपनायी जाती है, जिसके लिए सभी राज्यों से, बराबर मात्रा में लोग बुलाए जाते हैं और सभी को, एक बड़े से गड्ढे में, अपने पसंदीदा राजा से मिलते हुए रंग का पत्थर, फेंकना पड़ता है और जब सारे पत्थर इकट्ठे हो जाते हैं तो, उनकी गिनती की जाती है और परिणाम स्वरूप, धरती पुर के उसी सैनिक को, सबसे ज़्यादा तबज्जो दी जाती है, उससे मिलते हुए रंगे के पत्थर सबसे अधिक पाए जाते हैं और उसे ही सम्राट का दर्जा दे दिया जाता है| साधारण से सैनिक के सम्राट बनते ही, पूरे धरती पुर राज्य में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ती है, लेकिन लोगों को यह बात गले नहीं उतर रही थी कि वह तो हाल ही में राजा बना था| फिर उसने इतनी लोकप्रियता कैसे हासिल कर ली? सभी राज्यों के लोगों ने उसे ही, अपना प्रतिनिधित्व करने के लायक समझा| दरअसल यह सैनिक बहुत ही व्यवहार कुशल था| उसने राजा बनते ही, सबसे पहले अपने पड़ोस में उपस्थित राजाओं से गहरी मित्रता बनायी थी, जिससे उसने वहाँ के लोगों के दिलों में भी अपनी जगह बना ली थी और सभी से अच्छे रिश्तों की वजह से, उसे सम्राट का दर्जा प्राप्त हुआ था| इस सैनिक ने पड़ोसी राज्य से रिश्ते बनाने के महत्व को समझा था, जिससे वह योग्य शासक बन पाया और उसने, अपने राज्य को कामयाबी की बुलंदियों तक पहुँचाने में सफलता हासिल की और इसी के साथ यह कहानी समाप्त हो जाती है|

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