नाराज दोस्त । naraj dost | naraz dost | majedar kahaniyan

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नाराज दोस्त । naraj dost | naraz dost | majedar kahaniyan:

दोस्ती एक अनमोल उपहार है, क्योंकि एक सच्चा दोस्त जीवन के तकलीफों का सबसे अच्छा मरहम होता है, लेकिन कई बार कुछ ग़लतफ़हमियों की वजह से, दोस्ती में दरार उत्पन्न हो सकती हैं | नाराज दोस्त ( naraj dost, naraz dost ) कहानी (majedar kahaniyan) ऐसी ही, घटनाओं को उजागर करते हुए, लिखी गई है | एक शहर में दो लड़के रहते थे | एक का नाम राज और दूसरे का नाम अमर था | दोनों बचपन के घनिष्ट मित्र थे | बचपन से ऐसा कोई दिन नहीं हुआ, जब दोनों के बीच विवाद हुआ हो | अब दोनों बड़े हो चुके थे और कॉलेज पहुँच गए थे | दोनों ने साथ में उच्च शिक्षा के लिए, बड़े शहर जाने का फ़ैसला किया | दोनों का परिवार, उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने के लिए सक्षम था, इसके लिए दोनों शहर के एक नामी कॉलेज में दाख़िला करवा लेते हैं और वहीं पास में ही, बने हॉस्टल में रहने लगते हैं | कॉलेज में लड़के लड़कियाँ साथ पढ़ते हैं, इसलिए सभी को एक ही कक्षा में बैठाया जाता है | पहले दिन तो सभी को उनकी मर्ज़ी के मुताबिक़ बैठने की इजाज़त मिल गई थी, लेकिन शिक्षक ने आते ही आदेश दे दिया, कि कल से आप लोग अपनी मर्ज़ी से नहीं बैठेंगे, बल्कि आप लोगों को हर हफ़्ते, अपनी जगह बदलनी होगी | राज और अमर इस बात को सुनकर चिंतित हो जाते हैं, क्योंकि दोनों साथ में ही बैठना चाहते थे, लेकिन शिक्षक के फ़ैसले के आगे, दोनों को झुकना पड़ता है | अगले दिन से, राज को एक लड़की के साथ बैठना पड़ता है, जिसका नाम दिशा होता है और अमर को एक दूसरे लड़के के साथ बैठने को कह दिया जाता है | राज और दिशा की दोस्ती बढ़ने लगती है और तीन ही दिनों में दोनों, इतने क़रीब आ जाते हैं, कि ज़्यादातर समय दोनों साथ ही बिताने लगते हैं | अमर अपने दोस्तों को बदला हुआ देख, दुखी हो जाता है, लेकिन वह दोस्त की ख़ुशी के आगे, अपने दिल का दर्द छुपा लेता है और राज से कुछ नहीं कहता | एक हफ़्ते गुज़रते ही, राज और दिशा को अलग अलग बैठना पड़ता है | इस बात से, राज को बुरा लगता है | वह अमर से यह बात कहता है | अमर को समझ में आ जाता है, कि उसका दोस्त, दिशा को चाहने लगा है | अमर, राज से कहता है, “तू चिंता मत कर, दिशा अगली बार तेरे पास ही बैठेगी” | एक दिन अमर दिशा को किसी लड़के के साथ, एक पार्क में, प्रेमी प्रेमिका की तरह बैठे हुए देख लेता है |

नाराज दोस्त । naraj dost | naraz dost
Image by Анита Морган from Pixabay

वह चिंता में पड़ जाता है, क्योंकि उसके दोस्त राज को भी, दिशा से प्यार है, तो क्या दिशा राज को, धोखा दे रही है, या राज की ग़लत फ़हमी है, कि दिशा उससे प्यार करती है | हॉस्टल पहुँचते ही अमर, राज से दिशा के बारे में, सब कुछ कह देता है | अमर की बात सुनते ही, राज नाराज़ हो जाता है | वह चिल्लाते हुए, अमर से कहता है, “तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, दिशा के बारे में इतनी घटिया बात सोचने की | वह मेरे अलावा, किसी से प्यार नहीं कर सकती” राज को इतना ग़ुस्सा आता है, कि वह अमर के कमरे से अपना सामान लेकर, दूसरे कमरे में चला जाता है | अपने नाराज़ दोस्त को देखकर, अमर उसे रोकने के लिए पीछे भागता है, लेकिन अब दोनों दोस्तों के रास्ते अलग हो चुके थे | अमर मन ही मन बहुत पछता रहा था, कि क्यों मैंने दिशा की बात अपने दोस्त से कही | कक्षा में दोनों एक दूसरे से अलग रहने लगे | राज के दिमाग़ में, अब केवल दिशा ही घूम रही थी | वह अपने दोस्त को भूल चुका था | कुछ ही दिनों में दिशा ने अपना रंग दिखाना चालू कर दिया | वह राज के साथ बुरे तरीक़े से पेश आने लगती है और उसे मजबूर करके, उसके घर से पैसे मंगाने लगती है | अब धीरे-धीरे राज की ज़िंदगी, दुश्वार होने लगी है | दिशा ने राज को ब्लैकमेल करने के लिए कुछ, आपत्तिजनक मैसेज अपने मोबाइल फ़ोन में, सुरक्षित कर लिए थे | जिस वजह से राज, किसी से मदद नहीं ले पा रहा था | एक दिन क्लास में दिशा, राज को धमकी दे रही थी, कि मैं तुम्हें जेल भिजवा सकती हूँ | तभी खिड़की से, अमर सारी बात सुन लेता है | वह समझ जाता है, कि राज को ब्लैकमेल किया जा रहा है | अमर, अपने दोस्त को बचाने के लिए, एक योजना बनाता है | वह रात को दिशा के कमरे में घुसता है और तकिये के नीचे से, उसका मोबाइल फ़ोन, निकाल कर ले आता है और अपने हॉस्टल आकर, राज के हाथ में दे देता है | दिशा का फ़ोन देखते ही, राज अमर से पूछने लगता है, “तुम्हें दिशा का फ़ोन कैसे मिला” ? अमर कहता है, “मैं चोरी करके लाया हूँ, दोस्त!

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Photo by Tima Miroshnichenko: https://www.pexels.com/photo/a-person-holding-a-smartphone-with-a-blank-screen-6611961/

तू जल्दी से, अपने मैसेज डिलीट कर, जिनकी वजह से, वह तुझे ब्लैकमेल कर रही है” | राज, दिशा के मैसेज, ढूंढने का प्रयास करता है, लेकिन जब उसके मैसेज दिखाई नहीं देते तो, अमर, दिशा का फ़ोन, फ़ॉर्मेट कर देता है और उसका मैमोरी कार्ड बदल देता है और उसी रात को, दोबारा दिशा के हॉस्टल में जाकर, उसका मोबाइल फ़ोन, उसके कमरे के दरवाज़े के नीचे से अंदर भेज देता है | सुबह उठते ही, दिशा अपना मोबाइल, बिस्तर के नीचे डला पाती है | उसे लगता है, गलती से गिर गया होगा और जब वह अपना मोबाइल देखती है, तो उसका मोबाइल फार्मेट हो चुका होता है | यह देखकर उसे झटका लगता है, क्योंकि उसके ब्लैकमेल करने के सारे हथियार नाकाम हो चुके थे, लेकिन फिर भी वह, कॉलेज पहुँचते ही, राज को नए फ़ोन के लिए धमकी देती है, लेकिन राज अब समझ चुका है, कि उसके पास ऐसी कोई चीज़ नहीं है, जिससे वह उसे ब्लैकमेल कर सके | राज ग़ुस्से से दिशा का चेहरा पकड़ता है और धक्का देते हुए कहता है, “दूर रहो मुझसे” और अमर के गले में हाथ डालकर, मुस्कुराते हुए चला जाता है | अमर की हिम्मत की वजह से, राज बदनामी से बच गया था और इस बात से अमर ने अपने नाराज दोस्त को मना लिया था |

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