शातिर चोर की पेशी | acchi acchi kahaniyan

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शातिर चोर की पेशी | acchi acchi kahaniyan in hindi:

अच्छी कहानियाँ पढ़ने का मन सभी का होता है लेकिन अगर कहानी से कुछ मनोरंजन ना मिले तो समय बर्बाद होता है इसके लिए सही वेबसाइट चुनें जहां बेस्ट हिंदी कहानी मिले एक बार एक बहुत ही शातिर चोर गिरफ़्तार होता है और कोर्ट में उस शातिर चोर की पेशी होने वाली होती है | जिसके लिए हवलदार श्याम सिंह को ज़िम्मेदारी दी जाती है | हवलदार श्याम सिंह बहुत ईमानदार और बहादुर होता है और अगले ही दिन सुबह पाँच बजे की ट्रेन से चोर को, दूसरे शहर पेशी के लिए ले जाना तय होता है और श्याम सिंह चोर को हथकड़ी लगाकर समय से स्टेशन पहुँच जाता है | हवलदार श्याम सिंह, रेलवे पूछताछ केन्द्र में जाकर ट्रेन का समय पता करने जाता है और चोर को स्टेशन में बने एक पिलर पर चैन से बाँध देता है | ट्रेन का समय एक घंटे लेट होता है | तभी श्याम सिंह कुछ खाने पीने की चीज़ें लेनें स्टेशन के बाहर चला जाता है और जैसे ही वह वापस आता है, वह चोर हथकड़ी से बाहर निकल चुका होता है | हवलदार श्याम सिंह, चोर को ग़ायब देख घबरा जाता है और पूरे स्टेशन में उसकी तलाश करने लगता है |

शातिर चोर की पेशी
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और इसी बीच ट्रेन का हॉर्न सुनाई देने लगता है | हवलदार श्याम सिंह को लगने लगता है, अब तो मेरी नौकरी चली जाएगी | लेकिन तभी अचानक श्याम सिंह के पीछे, चोर आकर खड़ा हो जाता है और चाय पीते हुए कहता है, “साहब ट्रेन आ गई चलिए | पेशी के लिए कहीं देर न हो जाए और चोर को देखते ही श्याम सिंह की, जान में जान जाती है और वह उसे डांटते हुए कहता है, “तुम हथकड़ी से बाहर कैसे निकले” | तभी चोर हँसते हुए जवाब देता है, “अरे साहब ये तो रोज़ का है | मैंने तो अपनी ज़िंदगी में बड़े से बड़े ताले खोले हैं | यह मामूली हथकड़ी क्या चीज़ है” और हवलदार श्याम सिंह यह सुनते ही सोचने लगता है, कि इसे कोर्ट ले जाना कोई हँसी खेल नहीं | मुझे बड़ी सतर्कता बरतनी होगी और इस बार वह चोर को पीछे हाथ घुमाकर हथकड़ी लगाता है और ट्रेन में अपने साथ लेकर बैठ जाता है और सफ़र शुरू होता है, चोर पुलिस की नोंक झोंक का | ट्रेन को चले, कुछ घंटे ही हुए थे, कि चोर बाथरूम जाने को कहता है | श्याम सिंह उसे हथकड़ी के साथ पकड़े हुए टॉयलेट के पास लाते हैं | तभी वह चोर कहता है, “मैं कहीं नहीं भागूंगा |

शातिर चोर की पेशी
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आप मुझे अकेले ही अंदर जाने दें” लेकिन श्याम सिंह उसे मना कर देता है और कहता है, “जो भी करना है, ऐसे ही करो तुम्हारी हथकड़ी नहीं खोली जाएगी” | चोर अंदर जाकर दोबारा हथकड़ी खोल देता है और वही दरवाज़े में फंसाकर अपना काम करने लगता है और कुछ ही देर में वह बाहर निकल आता है, श्याम सिंह दोबारा उसे हथकड़ी से बाहर निकला देख हैरान हो जाता है और सोचता है | यह कितना शातिर है, कुछ ही पलों में इसने फिर से ये हथकड़ी खोल ली | श्याम सिंह उसकी इस हरकत से नाराज़ हो जाता है और उसे ज़ोर ज़बरदस्ती से घसीटते हुए ट्रेन की सीट में ले जाकर धक्का दे देता है | चोर, श्याम सिंह के ऐसे बर्ताव से क्रोधित हो जाता है और कहता है, “साहब आपनी भी इज्ज़त है, थोड़ा तमीज़ से बर्ताव करो” और चोर ठान लेता है, इस बेइज़्ज़ती का बदला ज़रूर लूँगा और तभी ट्रेन के पहुँचने का समय हो जाता है | यात्रियों की बहुत भीड़ होने की वजह से श्याम सिंह, ट्रेन के स्टेशन में रुकने से पहले ही चोर के साथ गेट पर जाकर खड़ा हो जाता है और उतरने का इंतज़ार करने लगता है | तभी गेट पर बहुत से यात्रियों की भीड़ अंदर और बाहर से धक्का मुक्की करने लगती है और इसी मौक़े का फ़ायदा उठाकर चोर, श्याम सिंह की नज़रों से ओझल हो जाता है | श्याम सिंह स्टेशन में उतरकर, जैसे ही पिछे देखता है, तो चौंक जाता है, क्योंकि हथकड़ी तो किसी और के हाथ में बँधी हुई होती है | श्याम सिंह इस बार समझ जाता है, कि वह चोर अब नहीं मिलेगा | शायद वह स्टेशन पहुँचने का ही इंतज़ार कर रहा था | तभी श्याम सिंह के पास सरकारी वक़ील का फ़ोन आता है |

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और वह चोर को लेकर, जल्दी अदालत आने को कहता है | श्याम सिंह, सरकारी वक़ील को कुछ नहीं कह पाता और परेशान होकर स्टेशन में चोर को ढूँढने लगता है | काफ़ी देर तक घूमने के बाद भी, जब चोर कहीं नहीं मिलता तो, हवलदार श्याम सिंह ख़ाली हाथ कोर्ट पहुँच जाता है और सरकारी वक़ील से जाकर सारी बात बता देता है | सरकारी वक़ील कहते हैं, “अब तुम्हारी नौकरी तो कोई नहीं बचा सकता | तुमने बहुत बड़ी गलती की है | वह एक शातिर अपराधी था और बड़ी मुश्किल से क़ानून के शिकंजे में फँसा था और तुम्हारी लापरवाही से वह भाग गया | चलो अब जब साहब के सामने, अपना बयान दर्ज करवाओ | हवलदार श्याम सिंह कोर्ट रूम में जज के सामने, सर झुकाए खड़ा होता है और अपनी गलती मानने ही वाला होता है, कि चोर कोर्ट के दरवाज़े से आवाज़ लगाता है, “अरे साहब, मैं बहुत देर से स्टेशन में आपको ढूँढ रहा था, आप कहाँ चले गए थे ? मैं बड़ी मुश्किल से कोर्ट का पता पूछते पूछते यहाँ आया हूँ” हवलदार श्याम सिंह चोर को देखते ही ख़ुश हो जाता है | आखिरकार उसकी नौकरी जो बच गई थी | वह भागते हुए चोर को दोबारा अपनी गिरफ्त में ले लेता है और जज साहब के सामने उसे पेश कर देता है और और कोर्ट में जज उसे उसके जुर्म की सजा सुना देता है | इसी के साथ कहानी ख़त्म हो जाती है |

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